खाद्य सुरक्षा तथा मानक अधिनियम 2006 में किए गए संशोधन ने खाद्य व्यापार स्वामियों और वितरकों को सालाना रिटर्न भरने से छूट प्रदान की है. नया निर्णय 10 जून 2014 से प्रभावी होगा.
कथित छूट रेस्टोरेंट, फास्ट फ़ूड जॉइंट, कैंटीन, राशन की दुकानों और अन्य व्यापारों पर लागू होती है, जो खाद्य व्यापार में कार्यरत हैं.
एफ़एसएसएआई ने सभी खाद्य व्यापारियों को उनके सालाना रिटर्न भरने से आंशिक छूट प्रदान की थी. अब इस संशोधन से इस छूट को स्थाई बना दिया गया है. इस संशोधन के बाद केवल खाद्य निर्माता, लेब्लर, पैकर, रि-लेब्लर और रि-पैकर तथा आयातक को ही अपने सालाना रिटर्न भरने की जरूरत होगी. और इसका पालन न करने वालो पर 100 रूपए का दंड दिया जाएगा.
एफ़डीए ने सभी लाइसेंसीकृत खाद्य व्यापार संचालकों को आदेश दिया है, जिनका सालाना टर्नओवर रूपए 12 लाख या अधिक है वे सालाना रिटर्न दाखिल कर दें. उसे भरने की अंतिम तिथि 31 मई है, जिसके बाद आंतरिक राहत दी गयी है.
हालांकि यह ध्यान दिया गया कि खाने पीने के प्रतिष्ठान, खाद्य वितरक और राशन की दुकानों के लिए उनके लेनदेन और स्टॉक के बारे में पता रखना बहुत ही मुश्किल है; एक ऐसा कार्य जो निर्माताओं, पैकर, आयातकों, रिपैकर, लेब्लर आदि के लिए बहुत ही आसान है.
पुणे में मर्चेंट चैंबर के सदस्यों के अनुसार व्यापारियों को नए एफ़एसएसए अधिनियम के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था, जो 2011 में क्रियान्वित हुआ था. तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार के साथ एक बैठक के बाद मार्च 2013 में, नियामकों ने संलग्न पक्षों के लिए सुविधा सुनिश्चित करने के लिए अधिनियम को संशोधित करने का निर्णय लिया.
नए अधिनियम में सभी खाद्य व्यापार संचालकों से सालाना रिटर्न की मांग की गयी है और सभी खाद्य आधारित व्यापारों को एक ही छतरी के नीचे लाया है. इसका एक ही लक्ष्य है, देश के खाद्य व्यापार को निगमित करना और खाद्य सुरक्षा में विस्तार करना.
सभी खाद्य व्यापार संचालकों से उनके सालाना रिटर्न को D1 के माध्यम से भरने के लिए कहा गया है, सिवाय मिल मालिकों के जो अपना छः महीने की रिटर्न D2 फॉर्म के द्वारा जमा कर सकते हैं.
Leave a Reply