केन्द्रीय महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी पूरे देश में स्कूल की कैंटीन से जंकफूड हटाना चाहती हैं और चाहती हैं कि उसके स्थान पर स्वस्थ भोजन का विकल्प प्रस्तुत किया जाए.
जंकफ़ूड को प्रेवेंशन ऑफ फ़ूड एडल्ट्रेशन अधिनियम में परिभाषित नहीं किया गया है किन्तु भारतीय खाद्य सुरक्षा तथा मानक प्राधिकरण के अनुसार “यह समझा जाए कि कोई भी खाद्य पदार्थ जिसमें निम्न पोषण मूल्य होते हैं और अस्वस्थ माना जाता है, उसे जंकफूड कहा जाता है”
स्कूल कैंटीन में जंकफूड पर प्रतिबंध के लिए एक गैर सरकारी संगठन उदय फाउंडेशन द्वारा दायर की गयी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक पैनल का गठन किया है जो स्कूल जाने वाले बच्चों में ‘जंकफ़ूड’ की आदतों को देखेगा तथा पैनल की अनुशंसाएं अभी प्रतीक्षा में हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने उसी जनहित याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक शपथपत्र दाखिल करते हुए कहा है कि जंकफूड में सूक्ष्म पोषण तत्वों की कमी होती है जैसे विटामिन, खनिज, एमिनो एसिड और फाइबर लेकिन इनसे ऊर्जा तुरंत मिलती है. जंकफूड मोटापे, दांतों में कीड़े, मधुमेह और ह्रदय रोगों का कारण बनते हैं क्योंकि अध्ययन दिखाते हैं कि इनमें प्रचुर मात्रा में वसा, सोडियम और शर्करा होती है. इस सम्बन्ध में भारतीय खाद्य सुरक्षा तथा मानक प्राधिकरण स्कूल कैंटीन में गुणवत्ता परक भोजन के लिए दिशानिर्देशों के साथ आने वाला है, किन्तु उसके बाद उसे एक परियोजना पूर्ण करने के साथ साथ एक वैज्ञानिक पैनल के दिशानिर्देशों का अनुमोदन भी लेना होगा.
भारतीय खाद्य सुरक्षा तथा मानक प्राधिकरण से दिशानिर्देश अभी भी प्रतीक्षित हैं, किन्तु महिला तथा बाल विकास मंत्री, स्कूल में जंकफूड पर प्रतिबंध लगाने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा तथा मानक प्राधिकरण नियमों में खाद्य सुरक्षा योजना के रूप में प्रतिबंधित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं, क्योंकि यह बच्चों के स्वास्थ्य का मामला है. श्रीमती गांधी इस मामले को केन्द्रीय मानव संसाधन विकास तथा स्वास्थ्य मंत्रालयों के साथ उठाना चाह रही हैं क्योंकि अपराह्न भोजन योजना केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत है तो वहीं भारतीय खाद्य सुरक्षा तथा मानक प्राधिकरण स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत गठित हुआ है.
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