जो भी खाद्य उत्पाद हम खाते हैं वे भौतिक, रसायन या जैविक संदूषणों के कारण हमारी सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं. रसायन संदूषण रसायनों के गलत इस्तेमाल, या गलत प्रबंधन के कारण हो सकते हैं. जो रसायन खाद्य संक्रमण का कारण हो सकते हैं उनमें ब्लीच, कीटनाशक, और डिटर्जेंट, सैनिटाइज़र और विसंक्रामक जैसे क्लीनिंग सामग्री सम्मिलित होती है. खाद्य पदार्थों में रासायनिक संदूषण खाद्य तैयारियों के लिए कंटेनर के दोबारा प्रयोग के कारण हो सकते हैं जिन्हें पहले रसायिकों के लिए प्रयोग किया जा चुका होता है
भोजन की तैयारी या पैकेजिंग क्षेत्र में कीटनाशक स्प्रे जैसे रसायन स्प्रे के प्रयोग से भी खाद्य पदार्थों में रसायन जुड़ सकते हैं. कभी कभी रसायन तत्व खाद्य पदार्थों में भी जोड़े जाते हैं क्योंकि उनकी संरचना एकदम उन्हीं खाद्य पदार्थों के कुछ घटकों के समान होती है. खाद्य पदार्थों को कच्चे माल से लेकर तैयारी, प्रबंधन, भंडारण, पैकेजिंग या परिवहन के चरणों में रसायन संदूषित कर सकता है.
आम खाद्य संदूषक होते हैं एक्रिलामिड, डोक्सिन, फुरेन, पर्च्लोरेट, मेलामाइन, एथिल कार्बामेट, बेन्ज़ेन, कीटनाशक, पशु औषधि और भोजन में जहरीले तत्व. खाद्य योज्य तथा खाद्य संदूषक जो खाद्य पदार्थों के निर्माण से लेकर प्रसंस्करण तक प्रयोग किए जाते हैं, वे भी सेहत के लिए हानिकारक होते हैं.
खाद्य पदार्थों के रासायनिक संदूषण से भोजन के स्वाद में बदलाव, उल्टी या काफी गंभीर स्थितियां हो सकती हैं जैसे अंग को क्षति, कैंसर या यहाँ तक कि जान भी जा सकती है.
खाद्य सुरक्षा दिशा निर्देशों के अनुसार किसी भी आपत्तिजनक घटक/रासायनिक एजेंट को जानबूझकर खिलाना जिससे खाद्य पदार्थों की सुरक्षा या उपयुक्तता से समझौता हो सकता है, स्वीकार्य नहीं है. खाद्य या खाद्य तैयारी परिवेश में किसी भी प्रकार का संदूषण खाद्य सुरक्षा नियमों में आपत्तिजनक हो सकता है.
सभी छोटे और मझोले रेस्टोरेंट,खान पान दुकानें और भोजन प्रतिष्ठानों को अपने खाद्य उद्योग के स्थान के सम्बन्ध में नियामक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित शर्तों के साथ अनुपालन करके तथा सुरक्षित घटकों के प्रयोग से खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किए जाने की जरूरत होती है. ये सभी शर्तें भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित की गयी हैं.
खाद्य व्यापार परिचालकों भोजन में रसायन संदूषण के लिए खाद्य उत्पादन प्रक्रिया के हर बिंदु की जांच किए जाने की जरूरत होती है. उन्हें हर छः माह में खानेपीने के सामानों के परीक्षण कराना चाहिए ताकि लोगों की सुरक्षा और नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित किया जा सके. ऐसे मामलों में एफबीओ या तो खुद ही या एनएबीएल प्रमाणित/भारतीय खाद्य सुरक्षा तथा मानक प्राधिकरण द्वारा अधिसूचित प्रयोगशाला के माध्यम से खाद्य सामानों के परीक्षण कर सकता है
Leave a Reply Cancel reply